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Monday, October 16, 2017

देवी भागवत के अनुसार 108 शक्तिपीठ |



देवी भागवत के अनुसार 108 शक्तिपीठ |


List of 108 Shakti Peethas: देवी सती के भस्म हुए शरीर को जब अपने कन्धों पर धारण किये हुए भगवान शिव तांडव कर रहे थे तब जगत के कल्याण हेतु श्री विष्णु ने देवी सती के शरीर पर सुदर्शन चक्र से प्रहार कर उसे कई भागों में विभक्त कर दिया। जहाँ जहाँ ये अंग आदि गिरे वहाँ वहाँ शक्तिपीठ की स्थापना हुई। इन शक्तिपीठों की संख्या अलग अलग बताई जाती है। शक्तिपीठों की ये संख्या कहीं 51 है तो कहीं 52 अथवा उससे भी अधिक। इसी प्रकार देवी भागवत में एक सौ आठ पीठस्थानों का उल्लेख देखने में आता है । तन्त्रचूड़ामणि स्थान, अङ्ग, भैरव और शक्ति नाम का जैसा विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, देवी भागवत में वैसा नहीं है । इसमें महर्षि वेदव्यास ने जनमेजयके प्रश्नानुसार पीठस्थान और वहाँ के अधिदेवता का नाम उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है –

108-shaktipeeth
 स्थान               देवता
1. वाराणसी – विशालाक्षी
2. नैमिषारण्य – लिङ्गधारिणी
3. प्रयाग – ललिता
4. गन्धमादन – कामुकी
5. दक्षिणमानस – कुमुदा
6. उत्तरमानस – विश्वकामा
7. गोमन्त – गोमती
8. मन्दर – कामचारिणी
9. चैत्ररथ – मदोत्कटा
10. हस्तिनापुर – जयन्ती
11. कान्यकुब्ज – गौरी
12. मलय – रम्भा
13. एकाग्र – कीर्तिमती
14. विश्व – विश्वेश्वरी
15. पुष्कर – पुरुहूता
16. केदार – सन्मार्गदायिनी
17. हिमवतपृष्ठ – मन्दा
18. गोकर्ण – भद्रकर्णिका
19. स्थानेश्वर – भवानी
20. बिल्वक – बिल्वपत्रिका
21. श्रीशैल – माधवी
22. भद्रेश्वर – भद्रा
23. वराहशैल – जया
24. कमलालय – कमला
25. रुद्रकोटि – रुद्राणी
26. कालञ्जर – काली
27. शालग्राम – महादेवी
28. शिवलिङ्ग – जलप्रिया
29. महालिङ्ग – कपिला
30. माकोट – मुकुटेश्वरी
31. मायापुरी – कुमारी
32. सन्तान – ललिताम्बिका
33. गया – मङ्गला
34. पुरुषोत्तम – विमला
35. सहस्त्राक्ष – उत्पलाक्षी
36. हिरण्याक्ष – महोत्पला
37. विपाशा – अमोघाक्षी
38. पुण्ड्रवर्धन – पाटला
39. सुपार्श्व – नारायणी
40. त्रिकटु – रुद्रसुन्दारी41. विपुल – विपुला
42. मलयाचल – कल्याणी
43. सह्याद्रि – एकवीरा
44. हरिश्चन्द्र – चन्द्रिका
45. रामतीर्थ – रमणी
46. यमुना – मृगावती
47. कोटितीर्थ – कोटवी
48. मधुवन – सुगन्धा
49. गोदावरी – त्रिसन्ध्या
50. गङ्गाद्वार – रतिप्रिया
51. शिवकुण्ड – शुभानन्दा
52. देविकातट – नन्दिनी
53. द्वारावती – रुक्मणी
54. वृन्दावन – राधा
55. मथुरा – देवकी
56. पाताल – परमेश्वरी
57. चित्रकूट – सीता
58. विन्ध्य – विन्ध्यवासिनी
59. करवीर – महालक्ष्मी
60. विनायक – उमादेवी
61. वैद्यनाथ – आरोग्या
62. महाकाल – महेश्वरी
63. उष्णतीर्थ – अभया
64. विन्ध्यपर्वत – नितम्बा
65. माण्डव्य – माण्डवी
66. माहेश्वरीपुर – स्वाहा
67. छगलण्ड – प्रचण्डा
68. अमरकण्टक – चण्डिका
69. सोमेश्वर – वरारोहा
70. प्रभास – पुष्करावती
71. सरस्वती – देवमाता
72. तट – पारावारा
73. महालय – महाभागा
74. पयोष्णी – पिङ्गलेश्वरी
75. कृतशौच – सिंहिका
76. कार्तिक – अतिशाङ्करी
77. उत्पलावर्तक – लीला (लोहा)
78. शौणसङ्गंम – सुभद्रा
79. सिद्धवन – लक्ष्मी
80. भरताश्रम – अनङ्गा
81. जालन्धर – विश्वमुखी
82. किष्किंधापर्वत – तारा
83. देवदारुवन – पुष्टि
84. काश्मीरमण्डल – मेधा
85. हिमाद्रि – भीमादेवी
86. विश्वेश्वर – तुष्टि
87. शंखोद्वार – धरा
88. पिण्डारक – धृति
89. चन्द्रभागा – कला
90. अच्छोद – शिवधारिणी
91. वेणा – अमृता
92. बदरी – उर्वशी
93. उत्तरकुरु – ओषधि
94. कुशद्वीप – कुशोदका
95. हेमकूट – मन्मथा
96. कुमुद – सत्यवादिनी
97. अश्वत्थ – वन्दनीया
98. कुबेरालय – निधि
99. वेदवदन – गायत्री
100. शिवसन्निधि – पार्वती
101. देवलोक – इन्द्राणी
102. ब्रह्मामुख – सरस्वती
103. सूर्यविम्ब – प्रभा
104. मातृमध्य – वैष्णवी
105. सतीमध्य – अरुन्धती
106. स्त्रीमध्य – तिलोत्तमा
107. चित्रमध्य – ब्रह्मकला
108. सर्वप्राणीवर्ग – शक्ति

देवीगीता में देवी पीठों की संख्या 72 दी गयी है, कुछ अन्य ग्रन्थों में पीठों की संख्या भिन्न-भिन्न दी गयी है ।

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